Haryana News: सरकारी डॉक्टरों की हड़ताल गहराई, सरकार ने लागू किया ESMA, 10 दिसंबर से अनिश्चितकालीन हड़ताल की चेतावनी
हरियाणा में स्वास्थ्य सेवाओं से जुड़ा बड़ा घटनाक्रम सामने आया है। राज्य के सरकारी डॉक्टरों ने अपनी मांगों को लेकर आंदोलन तेज कर दिया है और 10 दिसंबर से अनिश्चितकालीन हड़ताल पर जाने की घोषणा कर दी है। स्थिति को गंभीर देखते हुए हरियाणा सरकार ने Essential Services Maintenance Act (ESMA) लागू कर दिया है। सरकार ने स्पष्ट कर दिया है कि स्वास्थ्य सेवाओं में कोई बाधा नहीं आने दी जाएगी और हड़ताल करने वाले डॉक्टरों को कानूनी कार्रवाई का सामना करना पड़ सकता है।
दरअसल, हरियाणा Civil Medical Services Association (HCMSA) के लगभग 3,000 से ज्यादा डॉक्टर पिछले कुछ समय से अपनी मांगों को लेकर विरोध जताते रहे हैं। 8 और 9 दिसंबर को दो-दिवसीय सांकेतिक हड़ताल की शुरुआत की गई, जिसमें डॉक्टरों ने OPD से दूरी बनाकर अपना विरोध दर्ज कराया। हालांकि, कई अस्पतालों में वरिष्ठ डॉक्टरों और इमरजेंसी टीमों ने मरीजों की सुविधा के लिए मूलभूत सेवाएं जारी रखीं, जिससे आम मरीजों को अधिक परेशानी नहीं हुई। लेकिन जैसे-जैसे हड़ताल आगे बढ़ी, सरकार और डॉक्टरों के बीच स्थिति तनावपूर्ण होती चली गई।
डॉक्टरों की प्रमुख मांगों में
- विशेषज्ञ डॉक्टरों के लिए अलग कैडर बनाना,
- सीनियर मेडिकल ऑफिसर्स के लिए पदोन्नति नियमों में सुधार,
- Dynamic ACP स्कीम लागू करना,
- और डॉक्टरों की कमी को दूर करने के लिए नई नियुक्तियों की मांग शामिल है।
डॉक्टरों का कहना है कि सरकार लगातार इन मुद्दों को नज़रअंदाज़ कर रही है, जिस कारण मजबूरन विरोध का रास्ता अपनाना पड़ा है। हालांकि, सरकार का पक्ष है कि कई मांगों पर विचार किया जा चुका है और कुछ मामलों में सुधार की प्रक्रिया जारी है।
स्थिति बिगड़ती देख हरियाणा सरकार ने 9 दिसंबर को ESMA लागू करने का आदेश जारी कर दिया। इससे पूरे राज्य में सरकारी डॉक्टरों की किसी भी प्रकार की हड़ताल पर अगले छह महीनों के लिए प्रतिबंध लग गया है। ESMA लागू होने का मतलब है कि डॉक्टरों को अनिवार्य सेवाओं में उपस्थित रहना होगा, और अगर कोई कर्मचारी आदेश का उल्लंघन करता है, तो उसके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जा सकती है। यह कदम इसलिए उठाया गया है ताकि मरीजों को आपातकालीन और नियमित स्वास्थ्य सेवाओं में कोई बाधा न आए।
स्वास्थ्य विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों ने बताया कि राज्य में रोजाना हजारों मरीज OPD और इमरजेंसी सेवाओं पर निर्भर रहते हैं। ऐसे में डॉक्टरों की अनुपस्थिति स्वास्थ्य व्यवस्था को गंभीर रूप से प्रभावित कर सकती है। सरकार ने सभी सिविल सर्जनों को निर्देश दिया है कि अस्पतालों में वैकल्पिक स्टाफ की व्यवस्था की जाए, ताकि सेवाएं प्रभावित न हों। साथ ही, इमरजेंसी सेवाओं को किसी भी हाल में बाधित न होने देने के निर्देश जारी किए गए हैं।
वहीं डॉक्टर संगठनों ने सरकार के फैसले को “दमनकारी” बताया है और कहा है कि हड़ताल किसी कर्मचारी का मौलिक अधिकार है। HCMSA ने कहा है कि जब तक सरकार उनकी मांगों पर ठोस निर्णय नहीं लेती, तब तक आंदोलन जारी रहेगा। हालांकि, कई वरिष्ठ डॉक्टरों का कहना है कि मरीजों की कठिनाइयों को देखते हुए समाधान बातचीत से ही निकलना चाहिए।
राज्य में आम जनता के बीच इस स्थिति को लेकर चिंता बढ़ गई है, क्योंकि हड़ताल के चलते विशेषकर ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य व्यवस्था कमजोर हो सकती है। मरीजों और उनके परिजनों की मांग है कि सरकार और डॉक्टर्स दोनों मिलकर बातचीत करें और जल्द से जल्द समाधान तलाशें।










